ट्रस्ट की शुरुआत कैसे हुई :-
वो रात कभी नहीं भूल सकती मैं
मुझे आज भी याद है 11 अप्रैल 2020 की वो रात। शनिवार था। यही कोई 10 बजे का वक्त रहा होगा। कोरोना संक्रमण से पूरा देश जूझ रहा था। मुरादाबाद भी उनमें शामिल था। मैं डायनिंग टेबल पर बैठी थी, भोजन की थाली मेरे सामने थी। अभी कौर उठाकर जिह्वा पर रखने ही वाली थी कि एक कॉल आई। ‘दीदी, कटघर थाने से आगे रेलवे लाइन के किनारे एक बस्ती है। वहां कई परिवार भूखे हैं। दो दिन से रोटी क्या अन्न का एक दाना तक नहीं मिला। बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं। हाहाकार मचा है।’ कॉल करके यह जानकारी देने वाला मेरे छोटे भाई संजय मणि त्रिपाठी का रिपोर्टर दोस्त था। मुझसे खाना नहीं खाया गया। पूरी कोशिश की कि उसी रात भोजन उन परिवारों तक पहुंचा दूं मगर पुलिस प्रशासन ने लॉक डाउन में सख्ती की बेड़ियां डाल दी थीं। मेरा भाई और उसके दोस्त चाहकर भी बस्ती तक नहीं पहुंच सके। वो रात मैंने जैसे-तैसे काटी। ठान लिया चाहे जो हो, सुबह भोजन सामग्री पहुंचाकर रहूंगी।
देर रात मैंने अपने पति संजय पाण्डेय जी को यह बात बताई। कहा कि कुछ इंतजाम कराइए। वो कानपुर में हिन्दुस्तान अखबार में वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि कुछ करता हूं, रुक जाओ। अगले दिन रविवार को पौ फटने से पहले ही भोजन बनाकर 100 पैकेट तैयार किए। इस बीच संजय पाण्डेय जी ने कटघर थाने के इंस्पेक्टर से बात की थी हमारा मकसद सिर्फ उन परिवारों तक भोजन पहुंचाना है जो भूखे हैं। बहुत सारी ना-नुकुर के बाद इंस्पेक्टर तैयार हुए तो तत्कालीन क्षेत्राधिकारी बाधक बन गए। उन्हें भी समझाया गया। नियमों की ढेर सारी बैरिकेडिंग को पार करते हुए बमुश्किल सारे पैकेट उन परिवारों तक हम पहुंचा सके। सच मानिए, झोपड़ियों में रह रहे उन परिवारों और बच्चों को देखकर कलेजा मुंह को आ गया था। भूख से बिलबिला रहे जब बच्चों को दूध का पैकेट मिला उनकी बुझी सी आंखों में चमक आ गई। गर्भवती महिलाओं को भोजन मिला तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। यह नजारा हृदय विदारक था। उन्हें भोजन करता देख सुकून मिला। उस की दोपहर मेरी आंखों में भी चमक आ गई थी। खुशी का ऐसा अहसास जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मुझे सुकून इस बात का भी था मैं उन परिवारों को अगले 10 दिन के राशन-पानी का इंतजाम देकर आई थी। इस काम में मेरे मुंहबोले छोटे भाई राघव रस्तोगी के अलावा उस गुड़िया ने भी भरपूर सहयोग दिया था जो मेरे घर खाना बनाती है। उस दोपहर मैंने जो भोजन किया उसका स्वाद भी खुशी पैदा कर रहा था। इत्मीनान बहुत हुआ। हम यहीं नहीं रुके। पूरे कोरोना काल में मैंने कई दिनों तक भोजन तैयार करके जरूरतमंदों तक भिजवाया। जरूरत के अन्य सामान भी भिजवाने लगे। कुछ गरीब बच्चों को भी स्कूलों में फीस और ड्रेस देकर उन्हें शिक्षित बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ा दिया था। इस काम के लिए और भी लोग मेरा साथ देने को तैयार हो गए थे।
गीतांजली पाण्डेय
अध्यक्ष
13 अगस्त 2021: नए पड़ाव का प्रारंभ :-
हम लोगों जरूरतमंदों की मदद कर रहे थे तभी हमें लखीमपुर खीरी में मेरे पति के मित्र केके तिवारी के जरिए पता चला कि वहां वो लोग व्हाट्सएप पर एक ग्रुप चलाते हैं। इसी ग्रुप के जरिए आई सूचनाओं से मदद पहुंचाते हैं। सब कुछ आपसी सहयोग से होता है। आखिरकार हमने भी एक ग्रुप बनाने का निर्णय लिया। 13 अगस्त 2021 की रात मैंने संजय पाण्डेय जी से राय ली। उसी रात ग्रुप बनकर तैयार हो गया। तब उसका नाम रखा गया ‘साथी हाथ बढ़ाना’। इसी ग्रुप के जरिए हम लखनऊ से लेकर दिल्ली और गोरखपुर से लेकर कानपुर समेत बिहार तक कनेक्ट हो गए। गंभीर रूप से उन मरीजों तक मदद पहुंचाई जो आर्थिक रूप से कमजोर थे। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों की शादी उन्हीं के घर में धूमधाम से कराने लगे। तब तक कई लोग ग्रुप में आ गए थे। धीरे-धीरे ग्रुप बढ़ रहा था।
10 जनवरी 2022 : विधिवत आगे बढ़ने की मिली सीढ़ी :-
हमने तय कर लिया था कि अब इस चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में पंजीकरण कराएंगे। इस पर खूब मंथन किया गया। संविधान तैयार हुआ। आखिरकार वो घड़ी आई जिससे हमें विधिवत आगे बढ़ने की सीढ़ी हासिल हुई। 9 जनवरी 2022 को संजय पाण्डेय जी मुरादाबाद आए। तय हुआ कि उनकी मौजूदगी में रजिस्ट्रेशन कराया जाए। साथी हाथ बढ़ाना नाम से कई रजिस्ट्रेशन थे लिहाजा ट्रस्ट का नाम रखा गया ‘आओ हाथ बढ़ाएं-एक पहल मदद की’। आखिरकार 10 जनवरी 2022 को ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन करा लिया गया।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खोला सेंटर :-
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमने सिलाई-कढ़ाई केंद्र खोला। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिलाने लगे। ट्रेनिंग के बाद सिलाई मशीन भी देने लगे। वहीं आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए ट्यूशन सेंटर स्थापित किया। उनकी शिक्षा से लेकर आगे बढ़ने के लिए तमाम तरह के अच्छे क्रियाकलाप भी कराने लगे। इसी दौरान हमारे ट्रस्ट के सदस्य और मिठाई बाना के मालिक श्री नलिन गुप्ता जी ने करण सिंह जी के बारे में मुझे बताया। ये वो समय था जब हम पहली बार सामूहिक विवाह कराने के बारे में सोच रहे थे नलिन गुप्ता जी ने मुझसे कहा कि दीदी आप करण भइया से बात कर लीजिए अगर उन्होंने हामी भर दी तो यह कार्यक्रम बहुत धूमधाम से होगा और फिर कहीं और जाने की आवश्यकता नहीं होगी। मुझे यकीन नहीं था कि मैं बिना किसी जान पहचान के करण सिंह जी को फोन करूंगी और वह मेरी बात को सुनेंगे भी। लेकिन जब मैंने करण सिंह जी को फोन किया उस वक्त वह पीलीभीत किसी काम से जा रहे थे। उन्होंने मेरी बात को बहुत ध्यान से सुना और मुझे आश्वासन दिया कि लौटकर आने पर वह हमसे मिलना चाहेंगे। और वह लौटकर आने के बाद मिले भी हमारी मीटिंग हुई और उस मीटिंग में जितना अच्छा रिस्पांस उनका रहा उसे मैं शब्दों में लिख नहीं सकती। हमारी मदद करने के लिए फौरन तैयार हो गए और उन्होंने मुझे एक बात कही थी जो मैं कभी नहीं भूलूंगी कि अगर आपकी नीयत साफ है तो बाकी चीजों की चिंता आप ईश्वर पर छोड़ दीजिए आपका काम बहुत अच्छे से होगा। और निःसंदेह उनकी कही हुई यह बात सच साबित हुई।
उसके बाद वर्ष 2022 में हमने सबसे बड़ा आयोजन सामूहिक विवाह समारोह के रूप में किया। यह अन्य समारोहों की तरह नहीं था। ऐसी भव्य तरीके से जोड़ों की शादी कराई गई जिसे शहर ने देखा। उन जोड़ियों को भी गर्व का अहसास हुआ। इसके लिए किसी तरह की सरकारी मदद नहीं ली गई। वर्ष 2023 में हमने फिर सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया। इसकी खासियत यह थी इसमें जिन बेटियों की शादी कराई गई उसमें से कई के मां-बाप कोरोना संक्रमण काल में गुजर गए थे। इसी के साथ हमने पर्यावरण, स्वास्थ्य और शिक्षा पर काम करना शुरू किया। जागरूकता अभियान चलाए। शहर में अच्छा कार्य करने वालों को सम्मानित करने के लिए भी समारोहों का आयोजन किया। अब तो यह सिलसिला चल पड़ा है। ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे सार्थक प्रयासों को देखते हुए कई जगह से ट्रस्ट को सम्मानित भी किया गया है। 4 दिसंबर 2022 को आदर्श कला संगम द्वारा ट्रस्ट को सम्मानित किया गया। अमर उजाला द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दो बार ट्रस्ट को सम्मानित किया गया। दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री एवं फिल्म अभिनेता राजा बुंदेला जी द्वारा आयोजित कराए गए सात दिवसीय इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 19 दिसंबर को चैरिटेबल ट्रस्ट आओ हाथ बढ़ाएं को भी सम्मानित किया गया। ईश्वर से यही कामना है कि इतनी शक्ति दे कि हमारे हाथ और विशाल हों जो सभी जरूरतमंदों तक पहुंच सकें।
" कभी न भूलो जब तुम आए, जगत हंसा तुम रोए "
" जियो की जाते समय, सिर्फ तुम हंसो और जग रोए "
आओ हाथ बढ़ाएं-एक पहल मदद की'
ऐसे बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी उठाते हैं जो आर्थिक अभाव की वजह से पढ़ नहीं पाते । ऐसे बच्चों की मदद करते हैं जो इस समाज में माता-पिता के ना होने की वजह से अकेलेपन का सामना कर रहे है । ऐसे बुजुर्गों के लिए काम करते हैं जिनका परिवार होने के बावजूद वो वृद्धाश्रम में जीवन गुजारने पर मजबूर है । पर्यावरण के लिए काम करते हैं । चिकित्सा के क्षेत्र में काम करते हैं ।
संस्था का उद्देश्य :
गरीब जरूरतमंदों की मदद करना, ट्रस्ट के माध्यम से उनकी समस्याओं का समाधान निकालना, गरीब, अनाथ और पढ़ने में रुचि रखने वाले बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देना, आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की मदद करना, आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की बेटियों की शादी कराना, आर्थिक रूप से गरीब परिवार की बेटियों को रोजगार दिलाने की दिशा में प्रयास करना, पर्यावरण के क्षेत्र में काम करना, खेल में रुचि रखने वाले गरीब बच्चों को खेलकुद में बढ़ावा देने का प्रयास करना, चिकित्सा के क्षेत्र में अपना योगदान देना। इस तरह के तमाम सामाजिक कार्यों में अपना सहयोग प्रदान करना ही संस्था का उद्देश्य है
संस्था की अपील :
सभी जनमानस से हम अपील करना चाहते हैं कि हमारे आस पास बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें हमारे मदद की आवश्यकता है। हमारी छोटी-छोटी कोशिशों से हमारे आसपास के कई लोगों की बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान निकल सकता है। अपने-अपने दिलों में इंसानियत को जिंदा रखने का प्रयास ही मानव जीवन को सार्थक बनाता है। मैं सभी जनमानस से अपील करना चाहती हूँ कि आप इस संस्था के साथ जुड़े और अपनी कमाई का एक बड़ा ही सूक्ष्म सा हिस्सा देकर जरूरतमंदों की मदद करने में अपना योगदान दें । मनुष्य जीवन को सार्थक बनाने की दिशा में किया गया प्रयास ही समाज सेवा कहलाता है।